ना है जेट
ना कोई राकेट
है भूमंडल मेरे पाकेट
और आसमां के सितारे
सारे के सारे
मुठ्ठी में ही है मेरे ।
घूमता हूं मैं ग्रह उपग्रह में
भू-मंडल से भू-मंडल में
मगन खिलाड़ी' के खेल में
खेलता टूटते सितारों से
सतरंगी इंद्रधनुष के रंगों से
बिखरते बादलों से ।
आता नहीं शून्य से कोई
आता अगर शून्य से कोई
मैं हां मैं, और वो भी ।
असीमित में सीमित मै
सीमित में असीमित मैं
शून्य में मैं ही मैं ।
डूबते को तिनके का सहारा
जीने वालों का मैं सहारा
तिनका सा मैं सबका सहारा ।
जनम पर होती खुशी मुझको
मरण पर भी होती खुशी मुझको
जुदाई पर मिलती हैं राहत मुझको ।
स्वर्ग अमृत का है मुझमें
पित्त नर्क का मुझमें
नृत्य का ताल मुझमें
बहती है गंगा मुझसे ।
सागर महासागर है मुझमें
पाप पूण्य स्रोत मुझसे ।
जुगनू भरे पेड़ देखा मैंने
मांसाहारी पेड़ देखा मैंने ।
नाई मोची भिखारी मैं
दुराचारी मैं, सदाचारी मैं
राजा मैं प्रजा भी मैं
साधु मैं महात्मा ईश्वर मैं ।
अंत जहां किसी का
शुरुआत वहीं उसीका
शुरुआत जहां किसी का
अंत भी वहीं उसी का ।
शुरू अंत एक दूजे का
शुरू से मैं अनन्त का ।
हो अगर कुछ अपराजेय
अकेला पाप अपराजेय
हो अगर कोई अजेय
अकेला मैं अजेय
हो अगर कोई नश्वर
अकेला मैं नश्वर ।
दुर्दांत मेरी शक्ति
रोशनी मैं दिखाता
संघर्ष मैं सिखाता
मुक्ति मैं दिलाता
अंधेरे में भटकता
उजास को देखता
शक्तियों का मैं संचालक
नुमाइश का मैं निदेशक
महासागर से आसमां को
आसमां से महासागर को,
आसमां मेरा ब्रह्मांड मेरा
मैं तेरा और तू है मेरा ।
सुभाष चन्द्र गांगुली
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मूल: अंग्रेजी में 'From ocean to sky '
Published in a magazine in November 1979.
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