आज कहीं री नुपुर बाजे
रुनझुन रुनझुन नुपुर बाजे
गीत अनोखे मन में गूंजे
तार ह्रदय के झनझन बाजे
आज कहीं री नुपुर बाजे----
मेघों ने मल्हार सुनाया
मधुकर ने रसपान कराया
मन में गूंजे अनन्त तालियां
नृत्यांगना की बजे पैंजनिया
आज कहीं री नुपुर बाजे -----
मंदिर मस्जिद गिरजा साजे
तीनों लोक मन में बिराजे
आज कहीं री नुपुर बाजे
रुनझुन रुनझुन नुपुर बाजे ------
सुभाष चन्द्र गांगुली
20/1/1997
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" फनकार " सम्पादक - कैलाश गुरुस्वामी, सीहोर, मध्य प्रदेश में 5/1997 में प्रकाशित ।
* आकाशवाणी, इलाहाबाद से प्रसारित तथा
कवि सम्मेलनों/ गोष्ठियों में नियमित पाठ ।
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