सुप्त अवस्था में समुन्दर को
देखा नहीं
कभी किसी ने
तरंगित उफ़ान को
अतरंगित होते हुए
धरती कि छाती में
सुप्त अवस्था में
जाते हुये --
देखा कहीं - कहीं
किसी - किसी ने।
© सुभाष चन्द्र गाँगुली
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' दिशाविद ' काव्य संकलन, जून 1990.
("भारत माँ कीगोद में" काव्य संग्रह से, प्रथम संस्करण: 2022)
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