धुआं उठा खाड़ी से
धुआं उठा आकाश में
उड़कर आया हिन्द में
आग लगी लंका में
गोलियां चलीं अपनों पे
धुआं उठा लंका से
उडके आया हिन्द में
टुकड़े टुकड़े टक्कर खाये
बरस गए कश्मीर में
झेलम से गंगा में
भारत मां की गोद में । ।
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© सुभाष चंद्र गाँगुली
("भारत माँ कीगोद में" काव्य संग्रह से, प्रथम संस्करण: 2022)
' नये तेवर' में प्रकाशित।
1996
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