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Sunday, July 28, 2024

समय बदलता है

समय बदलता है  >
वह आदमी जो अपने 'मन के भीतर' ही रहा करता था, घर के बाहर वाले कमरे या ड्राइंगरुम तक आते-  आते बदल जाया करता था , आज वही भीतर का आदमी बाहर निकल आया हैं अपने मूल स्वरूप में ।कोई  आवरण  नही, कोई  लुका छिपी  नहीं । जैसा  उसका  स्वभाव, जैसा व्यवहार, जैसी सोंच घर के  भीतर , जैसा संस्कार  मिला, उसी रूप मे वह खड़ा  है समाज  मे  । जाति धर्म,  ऊंच-नीच,गरीब -अमीर ,,कट्टर - मुलायम आदि आदि  । आज जो स्थिति है, नामुमकिन न सही बहुत मुश्किल लग रहा है उसे सम्भालना, क्योंकि अब बलात्कार,  हत्या,माॅब  लिंचिग से हो रही हत्याओं के समर्थक भी सीना तानकर खड़े हो गए हैं । गुनहगारो को माला पहनाया जा रहा है,  निर्दोष अपराधी बन सजा काट रहा है,ज्ञानी शिक्षित की खिल्ली उडा रहे तैयार की गई  विशेष  भीड़ । राजनीति,  अर्थव्यवस्था , सामाजिक संगठन,  टीवी सीरियल,  मीडिया ( गोदी) सब वैसा चल रहा है जैसा पूंजीवाद चाहता है । ** अब हमें इंतजार करना होगा उस दिन का जब जनता अपने विवेक से पूछेंगे कि बड़ी दिखती बहुत छोटी सी जिंदगी को वे थोपी गई नफरत के कारण मार-काट, खून-खराबा में गंवा देंगे या कि सुख शांति से मानवीय मूल्यों के साथ बिता देंगे । समय बदलता है । इतिहास  गवाह है।जय हिन्द !

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