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Friday, May 5, 2023

माया महा ठगिनी


रिटायर्ड कार्नर के अध्यक्ष न्यायाधीश सुधीर मल्लिक को एक रिटायर्ड अनिल दास ने आवेदन देकर उनकी नीजी समस्या की सुनवाई कर समस्या का निदान के लिए मार्ग दर्शन की गुहार लगाई।
एसोसिएशन के अध्यक्ष महोदय ने एक तिथि बता दी और एसोसिएशन के सचिव के जरिए सभी सदस्यों तथा अनिल दास एवं माया राय की उपस्थिति सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
       अपने रिटायरमेंट के एक -डेढ महीने बाद अनिल दास रिटायर्ड कार्नर पर आये थे। उन्होंने एसोसिएशन का मेम्बर बनने का आग्रह किया था लेकिन उस समय पूरे बीस सदस्य थे इसलिए उनसे कहा गया कि वे अपना आवेदन-पत्र सचिव प्रभात कुमार जी को दे दें, जगह ख़ाली होने पर सदस्य बना लिया जाएगा, इस बीच वे चाहें तो सदस्यों के साथ बैठ सकते हैं।
       अनिल दास के बारे में किसी को ज्यादा कुछ मालूम नहीं था सिवाय इसके कि वे कहीं प्राइवेट नौकरी करते थे। वह बहुत खूबसूरत हैंडसम व्यक्ति थे। सुन्दर कद काठी, काले घुंघराले बाल, हृष्ट पुष्ट। भले ही रिटायर हो गए थे, हैंडसम इतना कि अनचाहे ही निगाहें चली जाती।
क़रीब दो महीने तक हफ़ में एक दो बार कार्नर पर आकर बैठते रहे, जगह मिलने पर बैठ जाते वर्ना खड़े खड़े बातें करते थोड़ी देर फिर निकल जाते। उसी दौरान टहलने आती एक खूबसूरत कम उम्र वाली महिला माया राय जिसका नाम था, को अनिल दास से आंख मिचौली करते हुए देखा गया। एक दिन कार्नर के दूसरी छोर पर देखा कि वे दोनों एक बेंच पर थोड़ी दूरी बनाकर बैठे हुए थे। दो चार दिन उसी तरह बैठे दिखें । आहिस्ता-आहिस्ता दूरी दूर हो गई, हाथ में हाथ डाल कर चलने लगे दोनों । थोड़े दिनों तक चले उसी तरह । थोड़े दिनों बाद दोनों को पार्क में नहीं देखा गया।
महीनों बाद अनिल दास कार्नर पर हाजिर होकर अपनी नीजी समस्या के बारे में थोड़ी देर बातें की फिर वे अनिल दास को साथ लेकर अध्यक्ष महोदय के आवास पर राय मशविरा करने गए। 
पता चला कि अनिल दास का पार्क में जिस महिला से परिचय हुआ था उस महिला से तीन महीने पहले शादी की थी किन्तु जब वह हर्ट अटैक के कारण अस्पताल में भर्ती थे तब वो औरत सोना दाना रुपए पैसे सब लेकर फरार हो गई। 
अध्यक्ष महोदय ने उसे अपने मोहल्ले के थाने में नंबर नोट कर दें। पत्र प्राप्ति के दो महीने बाद कमिटी द्वारा विस्तृत चर्चा के उपरांत ही कोई राय दी जाएगी।
थोड़े दिनों बाद ' रिटायर्ड कार्नर एसोसिएशन ' के सचिव के पत्र पाकर निश्चित तिथि पर अनिल दास उपस्थित हुए। 
पुलिस ने माया को भी हाजिर किया। एक महिला पुलिस उसे लेकर आई हैं।
पेंशनर्स एसोसिएशन के सचिव ने महिला पुलिस से पूछा कि उस औरत के साथ वो क्यों आईं है तो उन्होंने जानकारी दी कि अनिल दास द्वारा दर्ज़ कराई गई एफआईआर तथा जज साहब के पत्र पाकर थानेदार साहब ने कारवाई की। 
इसे गोंडा के गांव से गिरफ़्तार किया गया। तीन दिन के लिए पुलिस रिमांड पर लिया गया है।
            सभा शुरू होते ही अनिल दास द्वारा दिया गया पत्र जो कि उनकी नवविवाहिता पत्नी माया द्वारा ठगे जाने से संबंधित था सचिव द्वारा पढ़ा गया। 
अनिल दास से अपनी बात रखते के लिए कहा गया। अनिल दास ने कहा --"माया से मेरी मुलाकात इसी साल इसी पार्क में हुई। पहली मुलाकात में ही मैं उसकी ख़ूबसूरती से आकृष्ट हो गया था। आंखें चार होने पर मेलजोल हुआ, निकटता बढ़ी फिर एक दिन हम दोनों ' जुबली पार्क ' घूमने गए तो इसने एकबारगी शादी के लिए प्रोपोज कर दिया...." 
माया चीख उठी " जज साहब यह आदमी झूठ बोल रहा है।जज साहब मैं इसकी पत्नी नहीं हूं। "
माया से कहा गया कि उन्हें भी पंद्रह मिनट का टाइम दिया जाएगा, उनकी बारी जब आयेगी तभी बोले।
अनिल दास पुनः बोलने लगे " मैंने कुछ समय मांगा फ़िर हां कह दिया। उसने तब यह शर्त रखी कि शादी धूमधाम से, रीति-रिवाज से नहीं होगी बल्कि किसी मन्दिर में करनी होगी। ना-नुकुर कर मैंने उसकी शर्त मान ली। मैंने इनको पंद्रह लाख के गहने खरीद दिए। रिटायरमेंट पर जो रुपए मिले थे क़रीब आधा गहनों पर यह सोच कर खर्च कर दिया कि ये अच्छा इनवेस्टमेंट होगा, बैंक में व्याज बारह प्रतिशत से घटते-घटते अब पांच पर उतर आया, शेयर मार्केट का कोई भरोसा नहीं। गहनों से रुपए सुरक्षित और पत्नी भी खुश होगी। हमे थोड़ी सी भी भनक नहीं लगी कि यह औरत नहीं नागिन है......"
माया फिर चीख उठी। उसे फिर शांत कराया गया।
हफ़ दस दिन बीता न था कि इसकी फरमाइश बढ़ती गई। रोजाना होटल का खाना और तरह तरह की फरमाइशें।पूरा न करने पर उपद्रव करती। इसने मेरा जीना दुभर कर दिया । 
इतना बवाल इतना बवाल कि खाना पीना सोना सब मेरे लिए कठिन होता गया । 
तबियत बिगड़ी। बिगड़ती चली गई। एक दिन तेज बुखार, कम्पन और उठ बैठने पर चक्कर। होश रहते रहते मैंने दोस्त अविनाश को अपना हाल बताते हुए अविलम्ब घर आने के लिए कहा। मुझे बेहोश अवस्था में ' हार्ट केयर ' नर्सिंग होम ले जाया गया था। मुझे जब होश आया तो मैंने खुद को आईसीयू में पाया।  ़़......... जब मेरी छुट्टी होनेवाली थी, मैं अपने छोटे मोबाइल से अनेक फोन किया, घंटियां बजीं किन्तु फोन नहीं उठा । तब मैंने अविनाश से रिक्वेस्ट किया कि वह माया से मिलकर कहे कि अस्पताल का भुगतान करने के लिए मेरी अलमारी के लाकर में रखे रुपए में से दो हजार नगद और मेरा डेबिट कार्ड तुम्हें दे दे, साथ में मेरा स्मार्टफोन भी ले आएं। ........
मेरा दोस्त वापस लौट कर बोला कि घर पर ताला लटक रहा है, पड़ोसी ने सूचित किया कि तीन दिन से बंद है । उधर अस्पताल में डिस्चार्ज सर्टिफिकेट तैयार होकर दो घंटे से पेमेंट का इंतजार कर रहा था, मुझे तीन बार रिमांइडर देने के बाद कमरे से निकाल कर बाहर बैठा दिया गया था। आखिरकार मेरे मित्र अविनाश ने सारा भुगतान कर मुझे लेकर घर पहुंचाया। मामूली सा ताला लटक रहा था। अविनाश ने आसानी से उसे तोड दिया ........ मुझे मित्र को रुपए वापस करना था। बेडरूम में गया, देखा उसकी अलमारी खुली हुई थी, लाकर खुला और पूरा खाली। अलमारी लगभग खाली, नयी साड़ियां, कुछ कपड़े लत्ते गायब। दो अटैची थे दोनों गायब ।
मैं समझ गया कि यह औरत सारे सामान लेकर भाग गयी । मेरी अलमारी में कपड़े जस के तस। अपना स्मार्टफोन आधे घंटे तक ढूंढने के बाद बाथरूम में मिला, स्वीच ऑफ था। फोन थोड़ा सा चार्ज होने के बाद एसबीआई योनो खोला तो देखा खजाना खाली। अलमारी का लाकर खोला तो पता चला कि डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड सब गायब। मैं अपना सुध बुध खो बैठा। दिल की धुकधुकी बढ गई। अविनाश मुझे समझाता रहा,सम्हालता रहा..... अविनाश बैंक जाकर कन्फर्म कर आया कि खाते में पैसा नहीं है।"
अनिल दास फूट फूट कर रोने लगे, सम्हालने के लिए सभा से थोड़ी दूर ले गए, फिर ढांढस बंधाने के बाद लौट कर गोल -बार पर बिठा दिया।
           फिर अध्यक्ष महोदय ने माया से अपना पक्ष रखने को कहा गया।उसका चेहरा तमतमाया हुआ था। बहुत गुस्से से वह ऊंची आवाज़ में बोली "हम लिव इन रिलेशन में चार महीने थे फिर अलग हो गए थे। इनको मालूम था कि मैं चली जाऊंगी । ये साथ रहने वाला आदमी नहीं है, ये निहायत बद्तमीज है ।"
--" आपके ऊपर आरोप है कि उन्हीं दिनों में आपने इनके घर से चालीस पैंतालीस लाख रुपए के गहने लूटी, बाइस लाख इनके बैंक खाते से निकाले। "
--" झूठ्ठा है ये आदमी, मक्कार है। अंट शंट कुछ भी आरोप लगा देता है। इसने मुझे मात्र पांच सात लाख रुपए का गहना खरीद दिया था। और पांच साड़ियां हजार बारह सौ वाली। बस। मैं अपना ही सामान लेकर गयी थी। "
-- " बिना शादी के कोई आपको छह लाख के गहने क्यो कोई दे देगा ?"
--" क्यो नही देंगा ? लिव इन रिलेशनशिप में थे हम। एक बुड्ढा एक खूबसूरत जवान लड़की को तीन चार महीने भोगेगा, मौज मस्ती लेगा फोकट में ? कोई अनपढ़ गंवार लड़की भी ऐसा नहीं करने देगी। कहावत है - " मेहरी से बड़ा सुख / खर्ची का बड़ा दुःख।" वैसा ही है यह आदमी।
माया चीख चीखकर अनर्गल बकती गई फिर बोली" मुझे जाने दिया जाए। मैं और बेज्जती नहीं करा सकती । मैं शरीफ़ बाप की शरीफ़ लड़की हूं। ये आदमी महा दुष्ट है, मुझे नहीं छोड़ रहा था, खूब झगड़ा करता, गालियां देता, यहां तक कि झोंटा खींच कर मारता था, मैं इसके जंगलीपन से छुटकारा पाना चाहती थी, अवसर मिलते ही भाग निकली। "
अनिल दास फिर उठ खड़े होकर बोले " जज साहब! यह औरत महा ठगिनी है। पंद्रह लाख के गहने जो मैंने खरीद दिए थे वो तो ले ही गई साथ ही मेरी पत्नी के तकरीबन सात सौ ग्राम गहने थे वो भी ले गयी। "
--" पत्नी की ?‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌आपकी पत्नी ?"
--"जी मेरी पत्नी । नाम भी सुना होगा आप लोगों ने। नाम था सुधा दास। समाजसेवी। अनाथालय चलाती थी। साज सज्जा का शौक नहीं था। शादी में करीब सात सौ ग्राम गहने मिले थे। कोविड के दौरान रोगियों की दिन रात सेवा की फिर खुद ही कोविड का शिकार होकर चल बसी। मैंने शादी से पहले माया को सबकुछ बता दिया था। माया ने जब हाथ बढ़ाया था तो मैंने कहा था कि मैं अपने बेटे से परामर्श कर इस पर बात करुंगा । ....... मेरा बेटा सपरिवार कनाडा में रहता है। मैंने उससे बात की। बेटे ने बहू से मशविरा कर केवल सहमति नहीं जताई बल्कि खुशी भी जताई। बेटे ने कहा कि वे लोग निश्चिंत हो जायेंगे कि उसके पिता का देखभाल करने वाला कोई है क्योंकि वृद्धावस्था में मर्दों का अकेला रहना मुश्किल होता है और बिल्कुल यही सोचकर मैंने भी यही सोचकर पहले से ही मन ही मन राजी था।बेटे ने आगे कहा कि वह मेरी शादी से एक हफ्ता पहले आकर  रजिस्ट्री मैरिज की तथा पार्टी की व्यवस्था कर देगा किन्तु यह लड़की अपनी ज़िद पर अड़ी रहीं और मन्दिर में शादी करने के लिए हमें मजबूर कर दिया। मेरे दिमाग में ये बात आई ही नहीं कि ये ठगिनी भी हो सकती है वर्ना मैं मन्दिर में शादी हरगिज न करता। विधिवत शादी की होती तो प्रमाण रहता।
अचानक अविनाश दो लोगों के साथ हाजिर हुआ। उसने उन दोनों का परिचय कराते हुए कहा कि एक मन्दिर के पूजारी है और दूसरा मन्दिर का ओनर। इन्हीके  मन्दिर में दोनों की शादी हुई थी सबूत के तौर पर इनके पास रिकॉर्ड है जिसमें मन्दिर ट्रस्ट द्वारा मन्दिर परिसर में शादी की अनुमति दी गई थी।  शादी के फोटोग्राफ्स इनके पास उपलब्ध हैं क्योंकि जो शादियां इनके मन्दिर से होती है उनके फोटोग्राफ्स ट्रस्ट द्वारा रिकॉर्ड में रखा जाता है। "
अविनाश ने यह जानकारी दी कि यह महिला किसी गिरोह की सदस्य है। नाम बदल बदल कर शादियां करती ठगती लूटती है, गिरोह में और लड़कियां हैं, ज्यादातर बूढ़ों को ही फंसाती हैं, कुछ शिकायतें पुलिस विभाग को मिली है मगर ज्यादातर लोग शिकायत दर्ज ही नहीं कराते क्योंकि उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं रहता, पुलिस भय दिखाकर रुपए ऐंठते हैं फिर कानूनी प्रक्रिया इतनी लम्बी चलती है कि लोग हिम्मत ही नहीं जुटा पाते। रिटायर्ड कार्नर के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश के पत्र पाकर सब इंस्पेक्टर एफआईआर पर छानबीन कर रहे हैं।
    अध्यक्ष महोदय ने सलाह दी कि अनिल दास जी पुलिस जांच में पूर्ण सहयोग करें ताकि पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो जिससे अनिल दास को इंसाफ़ मिले ।


© सुभाषचंद्र गांगुली 
31/03/2023
( 'कहानी कहानियां पार्क की'' के अंतर्गत 18/03/2023 से शुरू 20/04/2023को खत्म हुआ)
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