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Sunday, June 20, 2021

कविता- जहां गली गली में नेता


 जहां गली गली में नेता
 घर  घर  अभिनेता,  
 भूले  जहां  लोग तिरंगा
 लहराये झंडा एक दो रंगा :
 नुक्कड़ नुक्कड़ जहां हो गंदा
 गंगाजल भी हो जाए गंदा :
 ईश्वर अल्लाह में हो भेदभाव
 धर्म जाति के नाम हो टकराव,
 सरकारी माल जहां हो अपना
 और रामराज  हो महज एक  सपना
 वह  महान देश है अपना  ।

 वह प्यारा देश है अपना
 जहां मेरा तेरा, तेरा मेरा 
 घर आंगन करे बंटवारा :
 जहां कालाधन हो सबका प्यारा
 जहां जनतंत्र गणतंत्र मनतंत्र
 में छिपा हुआ हो षड़यंत्र :
 और बूढ़ा हो रहा हो प्रजातंत्र
 जहां राजनीति हो सबसे बड़ा यंत्र :
 वह प्राण प्रिय देश है अपना
 सबका प्यारा सबसे न्यारा
 वह  महान देश है अपना  ।।


© सुभाष चंद्र गाँगुली 
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       20/11/1997

("भारत माँ कीगोद में" काव्य संग्रह से, प्रथम संस्करण: 2022)

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