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Thursday, June 9, 2022

गीत: मेरे मन के अन्त:पुर में


मेरे मन के अन्त:पुर में
कौन आया है आज ?
कल-कल अविरल धुन में
बज उठता मन साज !

हलचल-हलचल प्रतिपल करता
मन्द समीकरण आंचल भरता
मेरे सूने मन आंगन में
देता है आवाज !

भाव विहग को टेर रहा है
सरगम की धुन छेड़ रहा है
तन-मन बेसुध किए जा रहा है
आए न इसको लाज ! 

प्रीति निगोडी व्यथा बनी
नगर ढिंढोरा चर्चा घर घर
खोल गया सब राज ।

मेरे मन के अन्त:पुर में
कौन आया है आज ??

सुभाषचंद्र गांगुली
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22/4/1998

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