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Friday, July 16, 2021

कविता- भाषा


ह्वेनसांग फाह्यान हमें समझाये
अपनी अपनी भाषा
कोलोम्बस वास्कोडिगामा सिखलाये
अपनी अपनी भाषा
उत्तर उत्तर, दक्षिण दक्षिण
भाषा द्वंद्व में
लुप्त न हो जाए कहीं
मानवता की भाषा ।
सलाम लिलिपुट के मनिषियों को
जो समझ गये थे
गुलिवर की भाषा  ।

© सुभाष चंद्र गाँगुली 
("भारत माँ कीगोद में" काव्य संग्रह से, प्रथम संस्करण: 2022)
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1996

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